An unforgettable Event of Yug Dadhichi DehDaan Sansthan
#An unforgettable Event of Yug Dadhichi DehDaan Sansthan @ CSJM ( Kanpur University ) ::
दान एक सात्विक गुण है जिससे समाज समृ्द्ध होता है. अपने संपूर्ण शरीर का दान करना आसान बात नहीं अपितु यह एक कठिन कार्य है क्योंकि अपने किसी प्रियजन को खो देने के उपरांत भी उसके मृ्त शरीर से उससे जुड़े लोगों का मोह समाप्त नहीं होता .
बड़े बुजुर्गों को अक्सर कहते सुना है कि आँख का दान किया तो अगले जन्म में अंधे पैदा होंगे आदि- आदि भ्रांतियों का अंत नहीं. परंतु युग दधीचि देहदान संस्थान ( Yug Dadhichi DehDaan Sansthan ) द्वारा संचालित इस सदी के अनूठे आंदोलन ' युग दधीचि देहदान अभियान' ( चिकित्सकीय महाविद्यालयों में अध्य्यनरत शिक्षार्थियों के अनुसंधान हेतु मरणोपरांत शरीर दान ) में अपनी संपूर्ण निष्ठा एवं विश्वास प्रदर्शित करते हुए अपने शरीरदान व नेत्रदान कर हम, स्वप्निल शुक्ला ( Swapnil Shukla ) व ऋषभ शुक्ला ( Rishabh Shukla ), अत्यंत सतुष्टि का अहसास कर रहे हैं .
कानपुर यूनिवर्सिटी कैंपस में सोमवार , 23 फरवरी 2015 को युग दधीचि सम्मान एवं शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया . इसका उदघाटन राज्यपाल राम नाईक ने किया राज्यपाल ने इस अभियान के लिए युग दधीचि देहदान संस्थान (Yug Dadhichi DehDaan Sansthan ) की तारीफ भी की. राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि मरणोपरांत देहदान करना एक बड़ा जन आंदोलन है. उन्होंने नेत्र दान व शरीर दान करने वालों की सराहना करते हुए कहा यह निर्णय बहुत ही कठिन होता है.
युग दधीचि देहदान संस्थान के संस्थापक व संयोजक श्री मनोज सेंगर ( Mr. Manoj Senger ) जी ने उनके सफर व संस्था के संचालित कार्यक्रमों के बारे में बताया और जी. एस.वी.एम मेडिकल कॉलेज ( G.S.V.M. Medical College ) की बॉडी बैंक की क्षमता बढ़ाने की माँग की जिस पर राज्यपाल ने उचित कारवाई का भरोसा देते हुए कहा कि राज्य सरकार से इस बारे में बातचीत की जाएगी जबकि युग दधीचि देहदान संस्थान ( Yug Dadhichi DehDaan Sansthan ) की सह - संयोजिका श्रीमती माधवी सेंगर ( Mrs. Madhvi Senger ) जी ने सभी का धन्यवाद किया .
इस मौके पर महापौर कैप्टन जगतवीर सिंह द्रोण और सी. एस.जे.एम अर्थात कानपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. जे.वी. वैशंपायन , आईएमए अध्यक्ष डॉ. किरन पाण्डेय , डॉ.आर. सी. गुप्ता, डॉ. वी.सी रस्तोगी , डॉ. प्रवीन कटियार , डॉ संदीप सिंह, डॉ ब्रजेश कटियार , डॉ. उमेश पॉलीवाल , डॉ संजय स्वर्णकार , रजिस्ट्रार सैय्यद वकार हुसैन, वित्त अधिकारी संध्या मोहन , परीक्षा नियंत्रक राज बहादुर यादव , डिप्टी रजिस्ट्रार उमानाथ , असिसटेंट रजिस्ट्रार विनय कुमार , राकेश कुमार , डॉं. एस . के . मिश्रा , अरविंद राय मौजूद रहे.
स्वैच्छिक देहदान ( Voluntary Body Donation ) द्वारा मेडिकल छात्रों को मानव शरीर संरचना का और बेहतर तरीके से अध्य्यन करने का अवसर मिलता है . साथ ही मेडिकल साइंस में नए आविष्कार के विकल्प भी खुलते हैं जिससे अनेकों लाइलाज बिमारियों से लड़ने की क्षमता को और उन्हें जड़ से मिटाने के लिए नव दवाईयों इत्यादि का निर्माण किया जा सकता है.
नवीन टेक्नोलॉजी के आगमन से , मेडिकल कॉलेजों में भी कई असिसटेड मॉडल्स , सिम्युलेशन ( किसी प्रतिमान या ढाँचे के द्वारा कोई परिस्थिति उत्पन्न करना ) व मैनिक्विन ( मानव शरीर का मॉडल ) के रुप में उपलब्ध है . परंतु यह सभी एक असली कडैवर की कमी को पूरा नहीं कर सकते . प्रत्येक कडैवर ज्ञान के नवीन स्रोत की भाँति होते हैं.
इस बात में तनिक भी संदेह नहीं कि देहदान मानव कल्याण् व हित के लिए किया जाने वाला एक मानवीय कार्य है और मानवता के नाम पर दिया गया समाज को एक अनमोल तोहफे की भाँति है. दिनों- दिन खुलते व स्थापित होते नए- नए मेडिकल कॉलेजों में कडैवर्स की दुर्लभता व विरलता को मद्देनज़र रखते हुए यह कहना किसी भी प्रकार से अतिशयोक्ति न होगा कि स्वैच्छिक देहदान निश्चित तौर पर एक आशा की रश्मि है , किरण है मेडिकल साइंस के कल्याण और कुशलता व बेहतरी के लिए.
युग दधीचि देहदान संस्थान ::
Yug Dadhichi DehDaan Sansthan
220/6 , जे.के. कॉलोनी , जाजमऊ , कानपुर - 10 .
मो. 9839161790 , 9453482790
श्री मनोज सेंगर ( Mr. Manoj Senger )
संस्थापक / संयोजक
युग दधीचि देहदान संस्थान ( Yug Dadhichi DehDaan Sansthan )
फोन : 0512- 2460189
श्रीमती माधवी सेंगर ( Mrs. Madhvi Senger )
सह - संयोजिका
युग दधीचि देहदान संस्थान ( Yug Dadhichi DehDaan Sansthan )
फोन : 0512- 2461754
**************************************************************************************
copyright©2013-Present Swapnil Saundarya .All rights reserved
No part of this publication may be reproduced , stored in a retrieval system or transmitted , in any form or by any means, electronic, mechanical, photocopying, recording or otherwise, without the prior permission of the copyright owner.
Copyright infringement is never intended, if I published some of your work, and you feel I didn't credited properly, or you want me to remove it, please let me know and I'll do it immediately.
Comments
Post a Comment