A tribute to the legendary actress Meena Kumari by Rishabh Shukla aka Painter Babu



सदी की महानायिका को श्रृद्धांजलि ::





" टुकड़े - टुकड़े दिन बीता , धज्जी - धज्जी रात मिली, जिसका जितना आँचल था, उतनी ही सौगात मिली ."

इन कुछ पंक्तियों से लेखक के भीतर छिपे दर्द का हर कोई अहसास कर सकता है . ये पंक्तियाँ हैं सिने जगत की मशहूर अदाकारा  'मीना कुमारी'  की.  'मीना कुमारी' जो अपने बेहतरीन अभिनय के लिए आज भी जानी जाती हैं. मीना कुमारी को उनके बेहतरीन अभिनय क्षमता के कारण व नारी के दर्द व घुटन को पर्दे पर सशक्त रुप से उतारने के कारण 'ट्रेजडी क्वीन ' के नाम से संबोधित किया जाता है. दुर्भाग्यवश 31 मार्च 1972 को मीना कुमारी हमारे बीच नहीं रहीं पर उनकी यादें आज भी सिने जगत के प्रेमियों व उनके प्रशंसकों के दिलों में कायम हैं.

आज हम श्रृद्धांजलि दे रहें हैं उस नामचीन अभिनेत्री को जिसने बॉलीवुड इंड्स्ट्री में एक अलग पहचान कायम की.

मीना कुमारी की व्यक्तिगत ज़िंदगी कई उतार - चढ़ाव से घिरी रही . अपने पति से तलाक के बाद मीना कुमारी खुद को संभाल न पायीं, उस दर्द को उन्होंने अपनी कुछ कविताओं में उतारा.

मीना कुमारी का जन्म 1 अगस्त 1932 को मुंबई में एक गरीब परिवार में हुआ . उनके जन्म का नाम बेगम मेहज़बीन बानो था. उनके पिता अली बक्श पेशे से म्यूजीशियन थे.  मीना कुमारी की पहले फिल्म थी ' लेदरफेस' जो 1939 में आई.  इस फिल्म में मीना कुमारी बाल कलाकार के रुप में उभरीं हालांकि मीना कुमारी बचपन में अन्य बच्चों की ही तरह स्कूल जाना चाहती थीं पर पिता के दबाव व गरीबी के चलते उन्होंने अपना डेब्यू इसी फिल्म से किया. 1940 से मीना कुमारी ही अकेले दम अपने परिवार का पालन पोषण करने लगीं. 
बचपन से ही मीना कुमारी का जीवन अति संघर्षमय रहा पर फिर भी अपार क्षमताओं व गुणों के कारण वे फिल्म जगत में बेहतरीन अभिनेत्री के रुप में उभरीं. 1953 में फिल्म ' बैजू बावरा' के लिए मीना कुमारी को फिल्म फेयर बेस्ट अभिनेत्री का अवार्ड मिला.

1962 में मीना कुमारी ने उनकी फिल्म 'आरती', 'मैं चुप रहूँगी' और 'साहिब , बीवी और गुलाम' के लिए फिल्म फेयर अवार्डस में श्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए 3 नॉमिनेशन पाकर इतिहास रचा. हालांकि उन्हें अवार्ड फिल्म साहिब, बीवी और गुलाम के लिए मिला जिसमें उन्होंने छोटी बहु का किरदार बखूबी निभाया, जिसे क्रिटिक्स ने भारतीय सिनेमा की सबसे बेहतरीन परफार्मेंस माना. उस फिल्म में छोटी बहु के किरदार को मीना कुमारी ने ऐसे निभाया कि फिल्म में जब वो अपने पति के लिए साज श्रृंगार करतीं तो थियेटर में उपस्थित पब्लिक भी उस श्रृंगार रस में डूब जाती और जब पति की बेवफाई के कारण छोटी बहु के किरदार का घुटन भरा रुप पब्लिक के सामने आता तो लोगों की आँखों में आँसू का सागर भर जाता. पर इस फिल्म की अपार सफलता के बाद मीना कुमारी अपने तनावपूर्ण व्यक्तिगत जीवन की वजह से डिप्रेशन का शिकार हो गईं. शायद ज़िंदगी की कश्मकश व घुटन के चलते वो शराब की आदी हो गईं और 1968 तक उनका स्वास्थ्य  गिरता चला गया. उनके तनाव का मुख्य कारण उनके पति कमाल अमरोही से तलाक था जो कि 1964 में हुआ था. 1952 में मीना कुमारी , कमाल अमरोही , जो कि पेशे से फिल्म डायरेक्टर थे, उनसे प्रेम करने लगीं थी और फिर शादी कर ली .
कमाल अमरोही मीना कुमारी से 15 साल उम्र में बड़े थे और शादी शुदा भी थे. पर सच्चे प्यार के आगे कुछ समझ नहीं आता . मीना कुमारी ने कमाल अमरोही से शादी कर ली . वे कमाल से असीम प्रेम करती थीं. कमाल अमरोही के लिए उन्होंने लिखा:

" दिल सा जब साथी पाया,
बैचेनी भी वो साथ ले आया ."


पर तलाक के बाद मीना कुमारी इस तनाव से उबर नहीं पायी और कमाल के लिए अपनी भावनाओं व दुख को उन्होंने कुछ इन शब्दों में बयां किया :-

" तुम क्या करोगे सुनकर मुझसे मेरी कहानी,
बेलुत्फ ज़िंदगी के किस्से हैं फीके- फीके."


हालांकि बाद में 'पाकीज़ा' फिल्म जो कि कमाल अमरोही द्वारा निर्देशित थी , उसमें मीना कुमारी ने तवायफों की घुटन भरी ज़िंदगी को पर्दे पर दर्शाया. पाकीज़ा को बनने में 14 वर्ष लगे. पाकीज़ा के रिलीस के 3 हफ्ते बाद मीना कुमारी की हालत तेजी से बिगड़ने लगी और लीवर की बिमारी के चलते उन्होंने 31 मार्च 1972 को दम तोड़ दिया .

बेहद दुर्भाग्य की बात है कि अपनी कुशल व सशक्त अभिनय क्षमता का परचम लहराने वाली बेहद खूबसूरत और नामचीन अभिनेत्री के पास मृ्त्यु के समय अस्पताल का बिल भरने के लिए भी पैसे नहीं थे. पाकी़ज़ा सुपर हिट साबित हुई . पर पाकीज़ा के चरित्र को जीवंत करने वाली मीना कुमारी हमीरे बीच न थीं.
अभिनय के अलावा मीना कुमारी एक शानदार कवियत्री भी थीं. उन्होंने ' आई राइट आई रिसाइट '  के नाम से अपनी कविताओं की एक डिस्क भी तैयार कराई थी. मीना कुमारी की कविताओं पर अगर गौर करें तो उनकी ज़िंदगी के तनाव की गहराइयों का अंदाज़ा लगाया जा सकता है . जैसे ' तन्हाई ' पर आधारित इस कविता पर नज़र डालें :-

" चाँद तन्हा है, आसमाँ तन्हा,
दिल मिला है कहाँ- कहाँ तन्हा.
बुझ गई आस , छुप गया तारा,
थरथराता रहा धुआँ तन्हा.
ज़िंदगी क्या इसी को कहते हैं,
जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा.
हम सफर कोई गर मिले भी कहीं,
दोनों चलते रहें तन्हा - तन्हा.
जलती बुझती सी रोशनी के तरे ,
सिमटा - सिमटा सा एक मकान तन्हा,
राह देखा करेगा सदियों तक,
छोड़ जाएंगे ये जहाँ तन्हा. "

सच, मीना कुमारी की अभिनय क्षमताओं की ही तरह उनकी कविताओं में भी गहराई, ज़िंदगी की सच्चाई , ज़िंदगी के दर्द व घुटन का कोई भी अहसास कर सकता है . आइये , उस अतुल्य अभिनय क्षमताओं की धनी अभिनेत्री व कवियत्री को हम याद करते हैं व श्रृद्धांजलि अर्पित करते हैं. भले ही मीना कुमारी हमारे बीच नहीं पर उनकी यादें हर एक के दिलों में ज़िंदा हैं. आज भी उनके हुनर का कायल पूरा बॉलीवुड है . जीवन के तमाम संघर्षों के बाद भी सफलता के सर्वोच्च शिखर पर अपना परचम लहराने व कायम रखने वाली उस अभिनेत्री को हमारा सलाम !

" टुकड़े - टुकड़े दिन बीता , 
धज्जी - धज्जी रात मिली.
जिसका जितना आँचल था, 
उतनी ही सौगात मिली.
जब चाहा दिल को समझे, 
हँसने की आवाज़ सुनी,
जैसे कोई कहता हो, 
ले फिर तुझको मात मिली.
माते कैसी , घातें क्या,  
चले रहना आज कहे,
दिल सा साथी जब पाया,
बेचैनी भी साथ मिली. "



- ऋषभ शुक्ला  ( Rishabh Shukla )




Rishabh Shukla aka Painter Babu 

Painter| Journalist| Art Activist | Design Entrepreneur


Featured on 🎥📽️ ✓ India Voice | ETv | News Nation | Zee News | Talkistan | Power Code


Experience 💼 • 12+ Years |


Education•
🎓🖋️📕

 Earned Double M.A Degrees in Ancient Indian history, culture and archaeology and English Literature | Studied Interior Design and Visual Merchandising | Holds Sangeet Prabhakar Degree in Indian Classical Percussion instrument Tabla |


Exhibitions and Trade Fairs•
❇️🎨📿🏺

20+ Group and solo |


Accolades ✓
🏆🏅

° The story behind the most admirable products of our label named as desi dolls and chemo dolls has covered by renowned news channels, print and online media like India voice, Zee news, ETV, Micircles, Eenadu India, The rising Star, Kerala Mirror, Cultural Mosaic to name a few.

° Got featured on The Elegant Life as young Indian entrepreneur who successfully started with almost nothing and set a milestone in his 20s.

° Success Story got featured on YouTube Channel.

° Received Excellence Award in fine arts from Uttar Pradesh Art Society in the year 2016.

° Youth Trailblazer Award in Contemporary writing from North Indian Merchants'Association in 2017.

° Received Excellence Award for the best performance in the year 2018-2019 from Sakhi Kendra.

° Honoured  with Excellence Award for the best strategic plans by Sakhi Kendra.

° Prerna for all : Award of Excellence by Prerna Mahila Samiti (Shramik Bharti's federation).


Publications and Media ✓
📰✒️🗞️

Comments

Popular Posts